सोमवार, 5 अक्तूबर 2009

विश्व स्तरीय ब्रांड विकसित करने की चुनौती

भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है। कंपनियां बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं। दूसरे देशों के बाजारों में पैठ बनाने में भी सफलता मिल रही है। ऊंची विकास दर वाली दुनिया की चुनिंदा अर्थव्यवस्थाओं में शुमार है भारत। लेकिन एक बात हमेशा कचोटती है। वह यह कि हम कुछ नया करने और वैश्विक स्तर का ब्रांड विकसित नहीं कर पाए हैं। यह बड़ी चुनौती है। इस दिशा में काम किया जाना चाहिए। दुनिया के कई देशों में सफल अधिग्रहण और विलय सौदा करनेवाली घरेलू कंपनियों को आगे आना चाहिए। एेसे उत्पादों का विकास करना चाहिए जो दुनिया भर में विश्वसनीय हों। दिग्गज आईटी कंपनी इंफोसिस टेक्नालोजीज के संस्थापक और मुख्य प्रणेता एन.आर.नारायणमूर्ति ने यह बात कही।
श्री नारायणमूर्ति आईआईटी मुंबई और आस्ट्रेलिया के मोनाश विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित एक सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। भविष्य की चुनौतियां और इंजीनिय¨रग, विज्ञान व तकनीक के क्षेत्र में रिसर्च से समाधान विषय पर आयोजित था यह सम्मेलन। उन्होंने कहा कि चुनौतियों का समाधान किया जा सकता है। इसके लिए लीक से हट कर पहल करनी होगी। कुछ नया करना होगा। नए उत्पाद व सेवाओं का न सिर्फ विकास करना होगा बल्कि विश्वसनीयता भी हासिल करनी होगी। इंजीनियरिंग, विज्ञान व तकनीक को मिला कर प्रयास किया जाना चाहिए।
इंफोसिस के सह-संस्थापक ने कहा कि हाल के वर्षो में घरेलू अर्थव्यवस्था ने अच्छा प्रदर्शन किया है। एक विश्वसनीय देश के तौर पर भारत की छवि उभरी है। विपरीत हालात में भी हमारी कंपनियों ने बेहतर प्रदर्शन किया है। यूरोप, अमेरिका और एशिया में कंपनियों का अधिग्रहण घरेलू कंपनियों ने किया है। विदेशी धरती पर हासिल की गईं ज्यादातर कंपनियों को परिचालन भी सफल रहा है। यह बात सही है कि हम आगे बढ़े हैं। लेकिन यह भी कड़वा सच है कि एक भी विश्वस्तरीय ब्रांड हम नहीं विकसित कर पाए हैं।
श्री नारायणमूर्ति ने माना कि नए उत्पादों का विकास और विपणन किसी भी कंपनी के लिए बड़ी चुनौती होती है। यह भी कहा कि भागने के बजाय चुनौती को सहर्ष स्वीकार करना चाहिए। नये उत्पादों का विकास करना चाहिए। इसके बाद उपभोक्ताओं का विश्वास जीतने की दिशा में विपणन दक्षता का भी इस्तेमाल किया जाना चाहिए। उनके मुताबिक नये उत्पादों के विकास से ही कंपनियों के भविष्य को उज्जवल बनाया जा सकता है। इसलिए जरूरी है कि हम विश्व बाजार के लिए वैश्विक ब्रांड, उत्पाद और सेवाओं का विकास करें। बिना इसके दुनिया के दूसरे देशों को उम्मीद के मुताबिक निर्यात नहीं बढ़ाया जा सकता है।

रियल्टी कंपनियां लाएंगी आईपीओ
शेयर बाजार में तेजी की रैली और अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेतों को देखते हुए अचल संपत्तियों के विकास कारोबार से जुड़ीं एक दर्जन से ज्यादा रियल्टी कंपनियां प्राथमिक शेयर निर्गमों (आईपीओ) के साथ पूंजी बाजार में उतरने की तैयारी कर रही हैं। आईपीओ की मंजूरी के लिए आधा दर्जन रियल्टी कंपनियों ने बाजार नियामक संस्था सेबी के पास आवेदन जमा किया हुआ है। बाकी कंपनियां जोरशोर से आईपीओ की तैयारी में जुटी हुई हैं। मजे की बात यह कि केवल चार रियल्टी कंपनियां ही 11 हजार करोड़ रुपये जुटाने के मकसद से आईपीओ जारी करेंगी।
जानकारों के मुताबिक शेयर बाजार की अनुकूल चाल और आवासीय संपत्तियों की बढ़ रही बाजार मांग ने रियल्टी कंपनियों का उत्साह बढ़ाया है। डेढ़ साल चली मंदी की मार ङोलने के बाद रियल्टी कंपनियां नई परियोजनाओं के लिए धन जुटाना चाहती हैं। वित्तीय संसाधन जुटाने के मामले में आईपीओ काफी सहायक साबित हो सकते हैं। रियल्टी कंपनियों को ताजा माहौल अनुकूल लग रहा है और उम्मीद की जा रही है कि बड़े आईपीओ को भी सफलता मिल सकती है।
एमार एमजीएफ लैंड, लोढ़ा डेवलपर्स, सहारा प्राइम सिटी और एंबियंस लिमिटेड बड़े आकार के आईपीओ जारी करनेवाली हैं। उक्त चारों कंपनियां ही 11,000 करोड़ रुपये जुटाने के लिए पूंजी बाजार में दाखिल होंगी। इनके अलावा बीपीटीपी, ओबेरॉय कंस्ट्रक्शंस, नीतेश इस्टेट्स, गोदरेज प्रापर्टीज और इंडिया बुल्स रियल इस्टेट भी आईपीओ की तैयारी कर रही हैं। ़इनमें से एमार एमजीएफ मंदी की मार को बुरी तरह से ङोल चुकी है। बीते साल कंपनी ने आईपीओ जारी किया था। लेकिन वैश्विक मंदी की मार से लुढ़के शेयर बाजार के चलते मामला गड़बड़ा गया। कंपनी का आईपीओ पूरा नहीं भर पाया। लिहाजा एमार एमजीएफ ने आईपीओ को वापस ले लिया और निवेशकों की रकम लौटानी पड़ी।
एमार एमजीएफ वापस पूंजी बाजार में उतरना चाहती है। इसने सेबी के पास आवेदन जमा कर दिया है। आईपीओ के माध्यम से 3,850 करोड़ रुपये जुटाना चाहती है यह कंपनी। मुंबई आधारित लोढ़ा डेवलपर्स के आईपीओ को आकार 2,500 करोड़ रुपये के आसपास बताया जा रहा है। सहारा समूह की सहारा प्राइम सिटी ने भी सेबी के पास आवेदन जमा किया है। यह कंपनी 3,450 करोड़ रुपये जुटाने के लिए पूंजी बाजार में उतरना चाहती है। सेबी की अनुमति मिली तो ज्यादा निवेश आवेदन मिलने पर यह कंपनी निर्गम आकार के मुकाबले ज्यादा रकम भी स्वीकार कर सकती है। एंबियंस के आईपीओ का आकार 1,294 करोड़ रुपये बताया जा रहा है। एंबियंस अधिक अभिदान मिलने पर अतिरिक्त शेयर आवंटन के विकल्प के साथ निवेशकों के बीच जाएगी। मतलब यह कि कंपनी को आईपीओ के आकार के मुकाबले ज्यादा शेयरों के लिए आवेदन मिले तो एक निश्चित सीमा तक आवेदकों को शेयर आवंटन किया जा सकता है।

शुक्रवार, 2 अक्तूबर 2009

लोहे में जंग से सालाना 2 लाख करोड़ की चपत


जाली म्रुा और भ्रष्टाचार ही नहीं बल्कि क्षरण हमारी अर्थव्यवस्था को खोखला कर रहा है। क्षरण से होनेवाले सालाना नुकसान पर गौर करें तो यह भारत नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए आज का रावण है। क्षरण के चलते हर साल भारत को ही 2 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है। इतने बड़े नुकसान के बावजूद क्षरण को लेकर कें्र सरकार गंभीर नहीं है। उचित उपायों के जरिए नुकसान को 30 से 35 प्रतिशत के बीच कम किया जा सकता है।
क्षरण से होनेवाले भारी नुकसान से बचाव पर मंथन के लिए आर्थिक राजधानी में दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन मंगलवार से शुरू होनेवाला है। इसका आयोजन एनएसीई ने किया है। सम्मेलन को वर्ल्ड कॉरकॉन 2009 नाम दिया गया है। इसमें देश-विदेश की बड़ी कंपनियों के प्रतिनिधियों के साथ ही रक्षा क्षेत्र के जानकार भी शिरकत करनेवाले हैं। विज्ञान व प्रौद्योगिकी मामलों के कें्रीय मंत्री पृ्थ्वीराज चव्हाण सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे। इसमें तेल व गैस, परिवहन, लॉजिस्टिक्स, शि¨पग, इंफ्रास्ट्रक्चर, रियल्टी क्षेत्र की कंपनियां बढ़-चढ़ कर हिस्सेदारी कर रही हैं।
पीएसएल होल्डिंग्स के कार्यकारी निदेशक और कॉरकॉन 2009 के अध्यक्ष राजन बाहरी के मुताबिक क्षरण भारत ही नहीं पूरी दुनिया के लिए बड़ी चुनौती है। उनके मुताबिक आजादी के बाद की प्राकृतिक आपदाओं के मुकाबले कहीं ज्यादा कीमत क्षरण के मोर्चे पर भारत ने चुकाई है। अमेरिका और जापान जसे विकसित देशों के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में सालाना आधार पर 3 प्रतिशत घाटा क्षरण के कारण हो रहा है।
बाहरी का आकलन है कि बुनियादी सुविधाओं को सालाना आधार पर क्षरण के चलते 22,600 करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है। बहुपयोगी सेवाएं इसके चलते 47000 करोड़ गंवा रही हैं। उत्पादन और निर्माण इकाइयों को 17,650 करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है। साथ ही 20 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान रक्षा क्षेत्र और परमाणु कचरा प्रबंधन से जुड़ी सुविधाओं के क्षरण से हो रहा है। घरेलू अर्थव्यवस्था को लगभग 2 लाख करोड़ रुपए का नुकसान क्षरण पहुंचा रहा है।

मंगलवार, 22 सितंबर 2009

स्त्र उद्योग में महिलाओं की आय एक साल में आधी हुई : श् िबैंक


श् िबैंक ने कहा है कि ैश्कि आर्थिक संकट से सबसे बुरी तरह प्रभाति होनेोले उद्योगों में भारत का स्त्र उद्योग भी शामिल है और इसमें लगी महिलाओं की आय एक साल में करीब आधी हो गई है।
बैंक ने एक रपट में कहा कि हाल के शकों में निर्यातोन्मुखी उद्योगों में महिलाओं की संख्या बढ़ी है और मौजूा संकट में निर्यात क्षेत्र छंटनी का सबसे बड़ा शिकार हुआ। श् िबैंक ने कहा, ‘‘भारत में स्त्र क्षेत्र में स्रोजगार कर रही महिलाओं की मासिक आय 50 फीस तक घटी है और नंबर, 2008 से काम के नि 69 फीस तक घटे हैं।ज्ज्

कालीन निर्यात अगस्त में 28 फीस गिरा

अमेरिका और यूरोप में मांग की कमी के म्ेनजर भारत का कालीन निर्यात में लगातार 11 महीने से गिराट का रूख है और इस साल अगस्त में 28 फीस गिरकर 4. 15 करोड़ डालर का रह गया। कालीन निर्यात संर्धन परिष के अध्यक्ष अशोक जैन ने कहा ‘‘ अमेरिका और यूरोप में मांग में कमी के कारण हमें पिछले साल के मुकाबले बहुत कम आर्डर मिल रहे हैं। ज्ज्
अमेरिका और यूरोपीय ेशों में कालीन का निर्यात सबसे अधिक होता है। उन्होंने कहा ‘‘ कालीन लिास की स्तु है जरूरत नहीं। फि लहाल लोगों में आर्थिक असुरक्षा है और मुङो लगता है कि े कालीन तभी खरीेंगे जबकि उनकी मौलिक जरूरत पूरी हो जाएगी। ज्ज्
अप्रैल से अगस्त के ौरान 17. 73 करोड़ डालर का निर्यात हुआ जबकि पिछले साल की समान अधि में 24 करोड़ डालर की कालीन का निर्यात हुआ था।

पशुपालकों के लिए पीएनबी की शेिष योजना

पंजाब नेशनल बैंक :पीएनबी: ने पशुपालकों के लिए एक शेिष योजना शुरू की है जिसमें पशु खरीने और डेयरी संचालित करने के लिए रिण यिा जाएगा।
पीएनबी के कार्यपाल निेशक मोहन टांकसाले ने यहां पत्रकारों से कहा कि इस योजना के तहत योग्य ओकों को 16 लाख रुपये तक का कर्ज यिा जायेगा। बैंक ने कृषि क्षेत्र को रिण प्राह बढाने के प्रयास के अंतर्गत जून तिमाही में 86,514 किसान क्रेडिट कार्ड जारी किये हैं। टांकसाले ने बताया कि पीएनबी द्वारा अब तक 53. 57 लाख नो-फि ्रल खाते खोले जा चुके हैं।
बैंक ने एक महत्कांक्षी योजना ‘नमस्कारज् भी प्रारम्भ की है। जिन 2013 के तहत पीएनबी एक लाख नए टच पइंट बनाएगा जिसके लिए र्जि बैंक को 15 हजार कियोस्क खोलने के प्रस्ता भेजे गए हैं।


काम पर लौटे २० हजार कामगार

मंदी की मार से मात्न छह माह में लगभग एक हजार करोड़ रूपये का नुकसान उठाने वाले देश के प्रमुख विशेष औद्योगिक क्षेत्न आदित्यपुर में लगातार बढ़ती मांग से अब एक बार फिर रौनक लौटने लगी है जिससे यहां के करीब ३५००० छंटनीग्रस्त कामगारों में से २०००० काम पर वापस लौट चुके हैं१
टाटा समूह का गढ़ कहे जाने वाले देश के एक अन्य प्रमुख औद्योगिक नगर जमशेदपुर से सटे झारखंड के सरायकेला-खरसांवा जिले में स्थित आदित्यपुर में लगभग ८५० छोटे ् मझोले और कुछ बड़े उद्योग है जिनमें मंदी से पहले तक करीब ७०००० हजार स्थायी और अस्थायी कामगार कार्यरत थे १
इन उद्योगों के संगठन आदित्यपुर स्मॉल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (एसिया) के अध्यक्ष एस. एन. ठाकुर तथा महासचिव संतोष खेतान ने आज .यूनीवार्ता. को बताया कि सितंबर २००८ से लेकर इस वर्ष मार्च तक मंदी का काफी असर रहा जिससे ३५ हजार कामगारों की छंटनी करनी पड़ी थी१ इनमें से अधिकतर दैनिक वेतनभोगी अथवा मासिक पगार पाने वाले अस्थायी कामगार थे१
खेतान ने बताया कि अप्रैल से मांग की स्थिति में लगातार सुधार हो रहा है और अब तक छंटनीग्रस्त २०००० कामगार वापस लौट चुके हैं१ मांग बढ़ने की रफ्तार ऐसी ही रही तो अगले दो माह में शेष कामगारों को भी वापस बुला लिया जाएगा१ मंदी के चरम के दौरान काम के शिफ्ट की संख्या तीन से घटा कर एक कर दी गयी थी जो अब दो हो गयी है तथा जल्द ही वापस तीन पर पहुंच जाने की संभावना है१
ठाकुर ने बताया कि अधिकतर उद्योग ऑटो क्षेत्न की सहायक इकाइयां हैं जिनमें से ज्यादातर देश की सबसे बड़ी वाहन निर्माता कंपनी टाटा मोटर्स पर निर्भर हैं१ पिछले साल रिकार्ड पांच अस्थायी बंदी ङोलने वाले टाटा मोटर्स से .आर्डर . की स्थिति में काफी सुधार हुआ है और यह आदित्यपुर में लौट रही रौनक का एक बड़ा कारण है१

स्त्र उद्योग में महिलाओं की आय एक साल में आधी हुई : श् िबैंक


श् िबैंक ने कहा है कि ैश्कि आर्थिक संकट से सबसे बुरी तरह प्रभाति होनेोले उद्योगों में भारत का स्त्र उद्योग भी शामिल है और इसमें लगी महिलाओं की आय एक साल में करीब आधी हो गई है।
बैंक ने एक रपट में कहा कि हाल के शकों में निर्यातोन्मुखी उद्योगों में महिलाओं की संख्या बढ़ी है और मौजूा संकट में निर्यात क्षेत्र छंटनी का सबसे बड़ा शिकार हुआ। श् िबैंक ने कहा, ‘‘भारत में स्त्र क्षेत्र में स्रोजगार कर रही महिलाओं की मासिक आय 50 फीस तक घटी है और नंबर, 2008 से काम के नि 69 फीस तक घटे हैं।ज्ज्

कालीन निर्यात अगस्त में 28 फीस गिरा

अमेरिका और यूरोप में मांग की कमी के म्ेनजर भारत का कालीन निर्यात में लगातार 11 महीने से गिराट का रूख है और इस साल अगस्त में 28 फीस गिरकर 4. 15 करोड़ डालर का रह गया। कालीन निर्यात संर्धन परिष के अध्यक्ष अशोक जैन ने कहा ‘‘ अमेरिका और यूरोप में मांग में कमी के कारण हमें पिछले साल के मुकाबले बहुत कम आर्डर मिल रहे हैं। ज्ज्
अमेरिका और यूरोपीय ेशों में कालीन का निर्यात सबसे अधिक होता है। उन्होंने कहा ‘‘ कालीन लिास की स्तु है जरूरत नहीं। फि लहाल लोगों में आर्थिक असुरक्षा है और मुङो लगता है कि े कालीन तभी खरीेंगे जबकि उनकी मौलिक जरूरत पूरी हो जाएगी। ज्ज्
अप्रैल से अगस्त के ौरान 17. 73 करोड़ डालर का निर्यात हुआ जबकि पिछले साल की समान अधि में 24 करोड़ डालर की कालीन का निर्यात हुआ था।

पशुपालकों के लिए पीएनबी की शेिष योजना

पंजाब नेशनल बैंक :पीएनबी: ने पशुपालकों के लिए एक शेिष योजना शुरू की है जिसमें पशु खरीने और डेयरी संचालित करने के लिए रिण यिा जाएगा।
पीएनबी के कार्यपाल निेशक मोहन टांकसाले ने यहां पत्रकारों से कहा कि इस योजना के तहत योग्य ओकों को 16 लाख रुपये तक का कर्ज यिा जायेगा। बैंक ने कृषि क्षेत्र को रिण प्राह बढाने के प्रयास के अंतर्गत जून तिमाही में 86,514 किसान क्रेडिट कार्ड जारी किये हैं। टांकसाले ने बताया कि पीएनबी द्वारा अब तक 53. 57 लाख नो-फि ्रल खाते खोले जा चुके हैं।
बैंक ने एक महत्कांक्षी योजना ‘नमस्कारज् भी प्रारम्भ की है। जिन 2013 के तहत पीएनबी एक लाख नए टच पइंट बनाएगा जिसके लिए र्जि बैंक को 15 हजार कियोस्क खोलने के प्रस्ता भेजे गए हैं।


काम पर लौटे २० हजार कामगार

मंदी की मार से मात्न छह माह में लगभग एक हजार करोड़ रूपये का नुकसान उठाने वाले देश के प्रमुख विशेष औद्योगिक क्षेत्न आदित्यपुर में लगातार बढ़ती मांग से अब एक बार फिर रौनक लौटने लगी है जिससे यहां के करीब ३५००० छंटनीग्रस्त कामगारों में से २०००० काम पर वापस लौट चुके हैं१
टाटा समूह का गढ़ कहे जाने वाले देश के एक अन्य प्रमुख औद्योगिक नगर जमशेदपुर से सटे झारखंड के सरायकेला-खरसांवा जिले में स्थित आदित्यपुर में लगभग ८५० छोटे ् मझोले और कुछ बड़े उद्योग है जिनमें मंदी से पहले तक करीब ७०००० हजार स्थायी और अस्थायी कामगार कार्यरत थे १
इन उद्योगों के संगठन आदित्यपुर स्मॉल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (एसिया) के अध्यक्ष एस. एन. ठाकुर तथा महासचिव संतोष खेतान ने आज .यूनीवार्ता. को बताया कि सितंबर २००८ से लेकर इस वर्ष मार्च तक मंदी का काफी असर रहा जिससे ३५ हजार कामगारों की छंटनी करनी पड़ी थी१ इनमें से अधिकतर दैनिक वेतनभोगी अथवा मासिक पगार पाने वाले अस्थायी कामगार थे१
खेतान ने बताया कि अप्रैल से मांग की स्थिति में लगातार सुधार हो रहा है और अब तक छंटनीग्रस्त २०००० कामगार वापस लौट चुके हैं१ मांग बढ़ने की रफ्तार ऐसी ही रही तो अगले दो माह में शेष कामगारों को भी वापस बुला लिया जाएगा१ मंदी के चरम के दौरान काम के शिफ्ट की संख्या तीन से घटा कर एक कर दी गयी थी जो अब दो हो गयी है तथा जल्द ही वापस तीन पर पहुंच जाने की संभावना है१
ठाकुर ने बताया कि अधिकतर उद्योग ऑटो क्षेत्न की सहायक इकाइयां हैं जिनमें से ज्यादातर देश की सबसे बड़ी वाहन निर्माता कंपनी टाटा मोटर्स पर निर्भर हैं१ पिछले साल रिकार्ड पांच अस्थायी बंदी ङोलने वाले टाटा मोटर्स से .आर्डर . की स्थिति में काफी सुधार हुआ है और यह आदित्यपुर में लौट रही रौनक का एक बड़ा कारण है१

मंगलवार, 15 सितंबर 2009

आखिरकार मंद पड़ने लगी मंदी

संकट आने के बा सतर्क हुई सरकारें

श्लिेषकों का यह भी मानना है कि इस संकट के बा आर्थिक ुनिया में उीयमान बाजारों शेिषकर भारत एं चीन की महत्ता बढ़ी है और अंतरराष्ट्रीय आर्थिक नीतियों का समन्य करते समय इनकी भूमिका महत्पूर्ण हो गई है। भारत एं चीन: ने मजबूत किास र से ुनिया को चौंका यिा।

अमेरिकी निेश बैंक लेहमन ब्र्स के पिछले डूबने से शुरू हुए ैश्कि त्तिीय संकट को एक साल होने जा रहा है। इस संकट से ुनिया ने काफी कुछ सीखा। ेशों ने जहां अधिक सतर्कता बरतनी शुरू की, हीं सरकारों के बाजार ण में भी काफी उछाल ेखा गया। श्लिेषकों का कहना है कि ुनिया भर में हर किसी ने आर्थिक संकट से अनेक सबक सीखे हैं और े त्तिीय जोखिम को लेकर अधिक सचेत हुए हैं। मूडीज इकनॉमी डाटा कॉम के अर्थशास्त्री शरमन चान ने बताया कि सरकारी निकायों ने पर्याप्त नियमन की महत्ता को महसूस किया सीखा। वहीं कारोबारी ुनिया ने ह से अधिक जोखिम लेने के परिणाम ेखे। चान ने कहा कि हम ेखेंगे कि सभी बाजार भागीार और अधिक सतर्क रुख अपना रहे हैं। इसी तरह आर्थिक मंी से निपटने के लिए सरकारों ने र्साजनिक खर्च में अच्छी खासी ृद्धि की।


अर्थव्यवस्था में ण मांग बढ़ रही है और विदेशी पूंजी का प्रवाह भी बढ़ने लगा है। ऐसे में अगले छह महीनों में आप देश की अर्थव्यवस्था में हो रही प्रगति को साफ देख पाएंगे। एक साल पहले अमेरिका के दिग्गज निवेशक बैंक लेहमन ब्रदर्स के धराशायी होने पर वित्तीय तंत्र के स्थायित्व को लेकर गहरी ¨चता जताई गई थी। लेकिन अब हम वित्तीय संकट के उस सबसे खतरनाक दौर से बाहर आ चुके हैं।
-मोंटेक ¨सह आहलूवालिया
योजना आयोग के उपाध्यक्ष

मौजूदा मंदी के दौर का भारत में ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ा है। कार, मोटरसाइकिलों की बिक्री में इजाफा ही हुआ है। हर रोज ही नए मॉडल लांच होते रहे और सड़कों पर नई गाड़ियां दिखती रहीं। कई विदेशी कंपनियों ने भारत में आकर अपने कार की लॉन्चिंग की। सस्ते मानव संसाधन की भरपूर उपलब्धता भारत में ऑटोमोबाइल व आईटी इंडस्ट्रीज को बचाने में कामयाब रहा।
-नवीन मुंजाल
हीरो इलेक्ट्रिक इंडिया के एमडी

भारत इस वैश्विक मंदी से अछूता नहीं रहा लेकिन देश की अर्थव्यवस्था शैली तथा उपयुक्त सरकारी निर्देशों के फलस्वरूप मंदी की मार सब क्षेत्रों पर नहीं पड़ी। यूरोप व अमेरिका के कई बैंक, वित्तीय संस्थाएं और कंपनियां दिवालिया हो गईं। लेकिन भारत में किसी भी कंपनी ने मंदी की वजह से कारोबार नहीं समेटा है।
-डॉ. यूडी चौबे
स्कोप के महानिदेशक

मंदी का दौर तो यहां भी आया लेकिन अब वह काले बादल छंट चुके हैं। मुख्य रूप से मंदी का असर ऑटो इंडस्ट्रीज, रियल एस्टेट, एक्सपोर्ट व आईटी सेक्टर पर दिखा। इसमें से ऑटो इंडस्ट्रीज अब पूरी तरह से मंदी के दौर से ऊबर चुका है। रियल एस्टेट भी दिसंबर 2009 तक अपने पुराने रंग में होगा।
-अनिल अग्रवाल
सीआईआई, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के चैयरमैन

सरकारी निकायों ने पर्याप्त नियमन की महत्ता को महसूस किया सीखा जबकि कारोबारी ुनिया ने ह से अधिक जोखिम लेने के परिणाम ेखे। भष्यि के बारे में चान ने कहा कि हम ेखेंगे कि सभी बाजार भागीार और अधिक सतर्क रुख अपना रहे हैं। इसी तरह आर्थिक मंी से निपटने के लिए सरकारों ने र्साजनिक खर्च में अच्छी खासी ृद्धि की।
-शरमन चान
मूडीज इकनामी डाटा कॉम के अर्थशास्त्री

मंी में भी बढ़ते रहे कंपनियों के सीईओ के ेतन

ब्रिटेन की शीर्ष कंपनियों के कार्यकारियों के मूल ेतन में पिछले साल के गंभीर त्तिीय संकट के बाजू 10 प्रतिशत का इजाफा हुआ। एक रपट के अनुसार इस ौरान उनको मिलनेोला बोनस घटा है।
‘गार्जियनज् अखबार द्वारा बोर्डरूम के ेतन के श्लिेषण के अनुसार, 2008 में कार्यकारियों का मूल ेतन म्रुास्फीति की तुलना में ोगुना से ज्याा बढ़ा। रेकिट बेंकिंजर के मुख्य कार्यकारी बार्ट बेच सबसे ज्याा ेतन पानेोले कंपनी प्रमुख रहे। उन्हें 2008 के ौरान ेतन, बोनस, भत्ते और शेयर लाभ के रूप में कुल 3.68 करोड़ पाउंड यानी 6.13 करोड़ डॉलर की राशि मिली। टुलो ऑयल के एडन हीे के प्रमुख 2.88 करोड़ पाउंड ेतन, भत्तों और बोनस के साथ ूसरे स्थान पर रहे। तीसरे स्थान पर रहे बीएचपी बिलिटन के तत्कालीन मुख्य कार्यकारी प्रमुख चिप गुडईयर को 2.38 करोड़ पाउंड का पारितोषिक मिला।

सोमवार, 14 सितंबर 2009

अंबानी विवाद ने डिगाया निवेशकों का विश्वास : रपट

अंबानी बंधुओं के विवाद से अंतर्राष्ट्रीय निेशकों का भारत के प्रति शिस डगमगा रहा है। एक रपट में यहोा करते हुए सरकार से आग्रह किया गया है कि गैस के उपयोग की प्राथमिकता तय करे।
अमेरिकी मासिक पत्रिका एनर्जी ट्रिब्यून में एक रपट में कहा गया है कि अंबानीोि मेंों पर लगे प्राकृतिक गैस संसाधनों पर समित् भारतीय सरकार का है। पत्रिका के मुख्य संपाक माइकल जे इकोनोमिडेस ने कहा है कि सरकार द्वारा तय कीमत को बरकरार रखा जाना चाहिए। इससे ेश में निेश का आकर्षक माहौल मिलेगा, घरेलू ऊर्जा आपूर्ति बढ़ेगी और ैश्कि ऊर्जा सुरक्षा मजबूत होगी। अनिल अंबानी इस बारे में एक पारिारिक समझौते को लागू करने की मांग कर रहे हैं जिससे उनकी ग्रुप कंपनी आरएनआरएल को मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज से गैस 2.34 डॉलर प्रति यूनिट (एमएमबीटीयू) की र पर मिलेगी। यह र सरकार द्वारा मंजूर रों से 44 प्रतिशत कम है। मामला फिलहाल उच्चतम न्यायालय में है।
रपट में कहा गया है कि ुनिया की अन्य अर्थव्यस्थाओं ने ैश्कि बाजारों का शिस फिर जीतना शुरू किया है। निेशक कंपनियों बनाने, रोजगार ेने के लिए नए स्थानों की ओर ेख रहे हैं। ऐसे में अंबानी बंधुओं काोि भारत में निेशकों के शिस को चोट पहुंचा रहा है।

बुधवार, 21 जनवरी 2009

सत्यम से सकते में

देश की प्रमुख आईटी कंपनियां मानती हैं कि सत्यम घोटाले का आईटी उद्योग पर कोई असर
नहीं पड़ेगा। लेकिन सच यह भी है कि इस घोटाले ने न सिर्फ सभी को चौंका दिया है, बल्कि कॉरपोरेट जगत को सवालिया घेरे में ले लिया है। आम निवेशक सकते में हैं। इसलिए यह बेहद जरूरी
है कि इस संगीन धोखाधड़ी की तह तक जाया जाए। दोषी दंडित हों और आगे ऐसा न हो, इसके पुख्ता इंतजाम किए जाएं।


संजित चौधरी

प्रमुख आईटी कंपनी सत्यम में धोखाधड़ी उजागर होने से भारतीय कॉरपोरेट सेक्टर की ‘सत्यताज् पर ही सवालिया निशान लग गया है। आम निवेशक भी सकते में है। इससे न केवल आईटी कंपनियों की परेशानी बढ़ी है, बल्कि समूचे उद्योग जगत और नियामक संस्थाओं की पोल भी खुल गई है। इस घटना ने देश और विदेश में भारतीय कंपनियों की विश्वसनीयता को सबसे अधिक ठेस पहुंचाई है। एेसा भी लगता है कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर भारतीय कंपनियों को संदेह की दृष्टि से देखा जा रहा है। हालांकि भारत की दिग्गज आईटी कंपनियों ने कहा है कि सत्यम प्रकरण का आईटी उद्योग पर विशेष प्रभाव नहीं पड़ेगा, क्योंकि किसी एक कंपनी को हम समूचे उद्योग का प्रतिनिधि नहीं मान सकते। हो सकता है कि इन कंपनियों का कारोबार सत्यम प्रकरण की काली छाया से अछूता रहे। लेकिन इस घटना के बाद ग्राहक, निवेशक और आम जनमानस के मन में उठे संदेह को मिटा पाना आसान नहीं होगा।
सत्यम घोटाले के कारण क्या विदेशों में भारतीय आईटी कंपनियों की साख कमजोर नहीं हुई है। क्या निवेशक अब भारतीय आईटी कंपनियों का शेयर खरीदने से पहले अपेक्षाकृत अधिक छानबीन नहीं करेंगे। जानकारों का कहना है कि इस घटना से भारत की एक जिम्मेदार आईटी सेवा प्रदाता देश के रूप में बनी छवि धूमिल हुई है। हालांकि उनका यह भी कहना है कि भारतीय कंपनियों की बेहतर क्षमता और प्रदर्शन के कारण दीर्घावधि में उसे कम ही नुकसान उठाना पड़ेगा। लेकिन आने वाले दिनों में देश से बाहर भारतीय आईटी कंपनियों की परेशानियों में जरूर इजाफा होगा। भारत से बाहर के उपभोक्ता भारतीय आईटी कंपनियों की सेवाएं लेने से पहले अधिक सचेत रहेगा। दूसरी ओर भारतीय आईटी कंपनियों में निवेश करने से पहले निवेशक कहीं अधिक छानबीन भी करेंगे। इससे प्रतिद्वंद्वी कंपनियों के लिए स्वयं ही अनुकूल माहौल बन जाएगा।
जानकारों का कहना है कि व्यापार में लाभ या हानि होना कोई नई बात नहीं है। लेकिन साख पर उंगली उठना कहीं अधिक नुकसानदेह होता है। सत्यम प्रकरण के बाद निवेशकों और उपभोक्ताओं का विश्वास हासिल करने में भारतीय कंपनियों को कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी। तगड़ी प्रतिस्पर्धा और वैश्विक मंदी के इस दौर में कोई भी जालसाजों के साथ व्यापार करने से निश्चित रूप से परहेज करेगा। इसलिए सत्यम प्रकरण के बाद भारतीय आउटसोर्सिग कंपनियों की साख और विश्वसनीयता को बनाए रखना कहीं अधिक चुनौतीपूर्ण होगा।
सत्यम प्रकरण से पूरे कॉरपोरेट जगत को ही संदेह की दृष्टि से देखा जाने लगा है। हो सकता है कि सत्यम की तरह कई और कंपनियां बही-खाते में घपला कर रही होंगी। लेकिन ऐसा कहना भी बिल्कुल गलत होगा कि सभी भारतीय कंपनियों की हालत एक जसी है। मंदी के दौर में भी इंफोसिस आदि भारतीय आईटी कंपनियां बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं। हालांकि जानकारों का कहना है कि इस तरह के घोटाले से निपटने और निवेशकों का विश्वास हासिल करने के लिए कॉरपोरेट गवर्नेस को बेहतर किया जाए। सरकार और बाजार नियामक सेबी को ऐसे मामलों पर सख्ती दिखानी होगी, ताकि भविष्य में ऐसे घपले दोबारा न हो सकें।
बहरहाल, मंदी के इस दौर में सत्यम प्रकरण के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था में निवेशक निराश हैं। इसके बावजूद निराशा के इस वातावरण में सरकार द्वारा दिखाई गई सक्रियता एक उम्मीद भी जगाती है। सरकार ने कंपनी के बोर्ड को भंग करके एक अलग बोर्ड का गठन किया और समुचित कानूनी कार्रवाई करके स्पष्ट कर दिया कि किसी भ्रष्टाचारी को बख्शा नहीं जाएगा, साथ ही निवेशकों के पैसे को इस तरह से डूबने नहीं दिया जाएगा। इस प्रकरण के बाद सत्यम के 53 हजार कर्मचारियों भविष्य अधर में नजर आ रहा था। लेकिन सरकार के इस बयान से सत्यम के कर्मचारियों को राहत मिली होगी कि ‘उनकी नौकरी बचाने के लिए हर संभव प्रयास किया जाएगाज्।