बुधवार, 21 जनवरी 2009

सत्यम से सकते में

देश की प्रमुख आईटी कंपनियां मानती हैं कि सत्यम घोटाले का आईटी उद्योग पर कोई असर
नहीं पड़ेगा। लेकिन सच यह भी है कि इस घोटाले ने न सिर्फ सभी को चौंका दिया है, बल्कि कॉरपोरेट जगत को सवालिया घेरे में ले लिया है। आम निवेशक सकते में हैं। इसलिए यह बेहद जरूरी
है कि इस संगीन धोखाधड़ी की तह तक जाया जाए। दोषी दंडित हों और आगे ऐसा न हो, इसके पुख्ता इंतजाम किए जाएं।


संजित चौधरी

प्रमुख आईटी कंपनी सत्यम में धोखाधड़ी उजागर होने से भारतीय कॉरपोरेट सेक्टर की ‘सत्यताज् पर ही सवालिया निशान लग गया है। आम निवेशक भी सकते में है। इससे न केवल आईटी कंपनियों की परेशानी बढ़ी है, बल्कि समूचे उद्योग जगत और नियामक संस्थाओं की पोल भी खुल गई है। इस घटना ने देश और विदेश में भारतीय कंपनियों की विश्वसनीयता को सबसे अधिक ठेस पहुंचाई है। एेसा भी लगता है कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर भारतीय कंपनियों को संदेह की दृष्टि से देखा जा रहा है। हालांकि भारत की दिग्गज आईटी कंपनियों ने कहा है कि सत्यम प्रकरण का आईटी उद्योग पर विशेष प्रभाव नहीं पड़ेगा, क्योंकि किसी एक कंपनी को हम समूचे उद्योग का प्रतिनिधि नहीं मान सकते। हो सकता है कि इन कंपनियों का कारोबार सत्यम प्रकरण की काली छाया से अछूता रहे। लेकिन इस घटना के बाद ग्राहक, निवेशक और आम जनमानस के मन में उठे संदेह को मिटा पाना आसान नहीं होगा।
सत्यम घोटाले के कारण क्या विदेशों में भारतीय आईटी कंपनियों की साख कमजोर नहीं हुई है। क्या निवेशक अब भारतीय आईटी कंपनियों का शेयर खरीदने से पहले अपेक्षाकृत अधिक छानबीन नहीं करेंगे। जानकारों का कहना है कि इस घटना से भारत की एक जिम्मेदार आईटी सेवा प्रदाता देश के रूप में बनी छवि धूमिल हुई है। हालांकि उनका यह भी कहना है कि भारतीय कंपनियों की बेहतर क्षमता और प्रदर्शन के कारण दीर्घावधि में उसे कम ही नुकसान उठाना पड़ेगा। लेकिन आने वाले दिनों में देश से बाहर भारतीय आईटी कंपनियों की परेशानियों में जरूर इजाफा होगा। भारत से बाहर के उपभोक्ता भारतीय आईटी कंपनियों की सेवाएं लेने से पहले अधिक सचेत रहेगा। दूसरी ओर भारतीय आईटी कंपनियों में निवेश करने से पहले निवेशक कहीं अधिक छानबीन भी करेंगे। इससे प्रतिद्वंद्वी कंपनियों के लिए स्वयं ही अनुकूल माहौल बन जाएगा।
जानकारों का कहना है कि व्यापार में लाभ या हानि होना कोई नई बात नहीं है। लेकिन साख पर उंगली उठना कहीं अधिक नुकसानदेह होता है। सत्यम प्रकरण के बाद निवेशकों और उपभोक्ताओं का विश्वास हासिल करने में भारतीय कंपनियों को कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी। तगड़ी प्रतिस्पर्धा और वैश्विक मंदी के इस दौर में कोई भी जालसाजों के साथ व्यापार करने से निश्चित रूप से परहेज करेगा। इसलिए सत्यम प्रकरण के बाद भारतीय आउटसोर्सिग कंपनियों की साख और विश्वसनीयता को बनाए रखना कहीं अधिक चुनौतीपूर्ण होगा।
सत्यम प्रकरण से पूरे कॉरपोरेट जगत को ही संदेह की दृष्टि से देखा जाने लगा है। हो सकता है कि सत्यम की तरह कई और कंपनियां बही-खाते में घपला कर रही होंगी। लेकिन ऐसा कहना भी बिल्कुल गलत होगा कि सभी भारतीय कंपनियों की हालत एक जसी है। मंदी के दौर में भी इंफोसिस आदि भारतीय आईटी कंपनियां बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं। हालांकि जानकारों का कहना है कि इस तरह के घोटाले से निपटने और निवेशकों का विश्वास हासिल करने के लिए कॉरपोरेट गवर्नेस को बेहतर किया जाए। सरकार और बाजार नियामक सेबी को ऐसे मामलों पर सख्ती दिखानी होगी, ताकि भविष्य में ऐसे घपले दोबारा न हो सकें।
बहरहाल, मंदी के इस दौर में सत्यम प्रकरण के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था में निवेशक निराश हैं। इसके बावजूद निराशा के इस वातावरण में सरकार द्वारा दिखाई गई सक्रियता एक उम्मीद भी जगाती है। सरकार ने कंपनी के बोर्ड को भंग करके एक अलग बोर्ड का गठन किया और समुचित कानूनी कार्रवाई करके स्पष्ट कर दिया कि किसी भ्रष्टाचारी को बख्शा नहीं जाएगा, साथ ही निवेशकों के पैसे को इस तरह से डूबने नहीं दिया जाएगा। इस प्रकरण के बाद सत्यम के 53 हजार कर्मचारियों भविष्य अधर में नजर आ रहा था। लेकिन सरकार के इस बयान से सत्यम के कर्मचारियों को राहत मिली होगी कि ‘उनकी नौकरी बचाने के लिए हर संभव प्रयास किया जाएगाज्।