सोमवार, 5 अक्तूबर 2009

विश्व स्तरीय ब्रांड विकसित करने की चुनौती

भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है। कंपनियां बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं। दूसरे देशों के बाजारों में पैठ बनाने में भी सफलता मिल रही है। ऊंची विकास दर वाली दुनिया की चुनिंदा अर्थव्यवस्थाओं में शुमार है भारत। लेकिन एक बात हमेशा कचोटती है। वह यह कि हम कुछ नया करने और वैश्विक स्तर का ब्रांड विकसित नहीं कर पाए हैं। यह बड़ी चुनौती है। इस दिशा में काम किया जाना चाहिए। दुनिया के कई देशों में सफल अधिग्रहण और विलय सौदा करनेवाली घरेलू कंपनियों को आगे आना चाहिए। एेसे उत्पादों का विकास करना चाहिए जो दुनिया भर में विश्वसनीय हों। दिग्गज आईटी कंपनी इंफोसिस टेक्नालोजीज के संस्थापक और मुख्य प्रणेता एन.आर.नारायणमूर्ति ने यह बात कही।
श्री नारायणमूर्ति आईआईटी मुंबई और आस्ट्रेलिया के मोनाश विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित एक सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। भविष्य की चुनौतियां और इंजीनिय¨रग, विज्ञान व तकनीक के क्षेत्र में रिसर्च से समाधान विषय पर आयोजित था यह सम्मेलन। उन्होंने कहा कि चुनौतियों का समाधान किया जा सकता है। इसके लिए लीक से हट कर पहल करनी होगी। कुछ नया करना होगा। नए उत्पाद व सेवाओं का न सिर्फ विकास करना होगा बल्कि विश्वसनीयता भी हासिल करनी होगी। इंजीनियरिंग, विज्ञान व तकनीक को मिला कर प्रयास किया जाना चाहिए।
इंफोसिस के सह-संस्थापक ने कहा कि हाल के वर्षो में घरेलू अर्थव्यवस्था ने अच्छा प्रदर्शन किया है। एक विश्वसनीय देश के तौर पर भारत की छवि उभरी है। विपरीत हालात में भी हमारी कंपनियों ने बेहतर प्रदर्शन किया है। यूरोप, अमेरिका और एशिया में कंपनियों का अधिग्रहण घरेलू कंपनियों ने किया है। विदेशी धरती पर हासिल की गईं ज्यादातर कंपनियों को परिचालन भी सफल रहा है। यह बात सही है कि हम आगे बढ़े हैं। लेकिन यह भी कड़वा सच है कि एक भी विश्वस्तरीय ब्रांड हम नहीं विकसित कर पाए हैं।
श्री नारायणमूर्ति ने माना कि नए उत्पादों का विकास और विपणन किसी भी कंपनी के लिए बड़ी चुनौती होती है। यह भी कहा कि भागने के बजाय चुनौती को सहर्ष स्वीकार करना चाहिए। नये उत्पादों का विकास करना चाहिए। इसके बाद उपभोक्ताओं का विश्वास जीतने की दिशा में विपणन दक्षता का भी इस्तेमाल किया जाना चाहिए। उनके मुताबिक नये उत्पादों के विकास से ही कंपनियों के भविष्य को उज्जवल बनाया जा सकता है। इसलिए जरूरी है कि हम विश्व बाजार के लिए वैश्विक ब्रांड, उत्पाद और सेवाओं का विकास करें। बिना इसके दुनिया के दूसरे देशों को उम्मीद के मुताबिक निर्यात नहीं बढ़ाया जा सकता है।

रियल्टी कंपनियां लाएंगी आईपीओ
शेयर बाजार में तेजी की रैली और अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेतों को देखते हुए अचल संपत्तियों के विकास कारोबार से जुड़ीं एक दर्जन से ज्यादा रियल्टी कंपनियां प्राथमिक शेयर निर्गमों (आईपीओ) के साथ पूंजी बाजार में उतरने की तैयारी कर रही हैं। आईपीओ की मंजूरी के लिए आधा दर्जन रियल्टी कंपनियों ने बाजार नियामक संस्था सेबी के पास आवेदन जमा किया हुआ है। बाकी कंपनियां जोरशोर से आईपीओ की तैयारी में जुटी हुई हैं। मजे की बात यह कि केवल चार रियल्टी कंपनियां ही 11 हजार करोड़ रुपये जुटाने के मकसद से आईपीओ जारी करेंगी।
जानकारों के मुताबिक शेयर बाजार की अनुकूल चाल और आवासीय संपत्तियों की बढ़ रही बाजार मांग ने रियल्टी कंपनियों का उत्साह बढ़ाया है। डेढ़ साल चली मंदी की मार ङोलने के बाद रियल्टी कंपनियां नई परियोजनाओं के लिए धन जुटाना चाहती हैं। वित्तीय संसाधन जुटाने के मामले में आईपीओ काफी सहायक साबित हो सकते हैं। रियल्टी कंपनियों को ताजा माहौल अनुकूल लग रहा है और उम्मीद की जा रही है कि बड़े आईपीओ को भी सफलता मिल सकती है।
एमार एमजीएफ लैंड, लोढ़ा डेवलपर्स, सहारा प्राइम सिटी और एंबियंस लिमिटेड बड़े आकार के आईपीओ जारी करनेवाली हैं। उक्त चारों कंपनियां ही 11,000 करोड़ रुपये जुटाने के लिए पूंजी बाजार में दाखिल होंगी। इनके अलावा बीपीटीपी, ओबेरॉय कंस्ट्रक्शंस, नीतेश इस्टेट्स, गोदरेज प्रापर्टीज और इंडिया बुल्स रियल इस्टेट भी आईपीओ की तैयारी कर रही हैं। ़इनमें से एमार एमजीएफ मंदी की मार को बुरी तरह से ङोल चुकी है। बीते साल कंपनी ने आईपीओ जारी किया था। लेकिन वैश्विक मंदी की मार से लुढ़के शेयर बाजार के चलते मामला गड़बड़ा गया। कंपनी का आईपीओ पूरा नहीं भर पाया। लिहाजा एमार एमजीएफ ने आईपीओ को वापस ले लिया और निवेशकों की रकम लौटानी पड़ी।
एमार एमजीएफ वापस पूंजी बाजार में उतरना चाहती है। इसने सेबी के पास आवेदन जमा कर दिया है। आईपीओ के माध्यम से 3,850 करोड़ रुपये जुटाना चाहती है यह कंपनी। मुंबई आधारित लोढ़ा डेवलपर्स के आईपीओ को आकार 2,500 करोड़ रुपये के आसपास बताया जा रहा है। सहारा समूह की सहारा प्राइम सिटी ने भी सेबी के पास आवेदन जमा किया है। यह कंपनी 3,450 करोड़ रुपये जुटाने के लिए पूंजी बाजार में उतरना चाहती है। सेबी की अनुमति मिली तो ज्यादा निवेश आवेदन मिलने पर यह कंपनी निर्गम आकार के मुकाबले ज्यादा रकम भी स्वीकार कर सकती है। एंबियंस के आईपीओ का आकार 1,294 करोड़ रुपये बताया जा रहा है। एंबियंस अधिक अभिदान मिलने पर अतिरिक्त शेयर आवंटन के विकल्प के साथ निवेशकों के बीच जाएगी। मतलब यह कि कंपनी को आईपीओ के आकार के मुकाबले ज्यादा शेयरों के लिए आवेदन मिले तो एक निश्चित सीमा तक आवेदकों को शेयर आवंटन किया जा सकता है।

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