रविवार, 11 जनवरी 2009

साल 2008 : महंगाई की मार व सेंसेक्स की हार

साल 2008 भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए उथल-पुथल भरा रहा। वश्विक आर्थिक मंदी के बावजूद बीते साल में भारतीय अर्थव्यवस्था को कई बुलंदियां हासिल हुईं। हालांकि इन्हें लंबे समय तक बरकरार रखा न जा सका और साल के अंत तक बुलंद अर्थव्यवस्था लड़खड़ाती नजर आई।
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संजित चौधरी

साल 2008 भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए उथल-पुथल भरा रहा। इस दौरान देश में कई ऐसी घटनाएं हुईं जिन्हें भुलाया नहीं जा सकता। वश्विक आर्थिक मंदी के बावजूद बीते साल में भारतीय अर्थव्यवस्था को कई बुलंदियां हासिल हुईं। हालांकि इन्हें लंबे समय तक बरकरार रखा न जा सका और साल के अंत तक बुलंद अर्थव्यवस्था लड़खड़ाती नजर आई। महंगाई की मार और सेंसेक्स की हार दोनों ने ही भारतीय अर्थव्यवस्था को मुंह चिढ़ाया।
बीते साल की शुरुआत में पेट्रोलियम पदार्थो के दाम बढ़ाए गए। सरकार के इस कदम का लोगों ने विरोध नहीं किया। दरअसल, अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में कच्चे तेल की आसमान छूती कीमतों के कारण भारतीय तेल कंपनियों का घटा लगातार बढ़ रहा था। इसे देखते हुए लोगों ने सरकार के इस फैसले का समर्थन किया। इसी दौरान टाटा ने लखटकिया कार ‘नैनोज् को बाजार में उतारने की घोषणा की। कंपनी का दावा है कि एक लाख रुपए कीमत वाली नैनो दुनिया की सबसे सस्ती कार होगी। लेकिन राजनीतिक दलों की खींचातानी के कारण नैनो निर्धारित समय पर बाजार में आ न सकी।
साल के मध्य तक कच्चे तेल की कीमतें उफान लेने लगीं और 147 डॉलर प्रति बैरल के स्तर को छू गईं। इसी दौरान महंगाई अपने चरम रूप में सामने आने आई। इसने न केवल आम लोगों की घरेलू अर्थव्यवस्था को चौपट कर दिया, बल्कि उद्योग जगत भी इसकी चपेट में आने लगे। यही कारण थी कि उद्योग जगत में मुनाफा बरकरार रखने की कोशिशें तेज हुईं। इसी क्रम में ‘कॉस्ट कटिंगज् के नाम पर संसाधनों को सीमित करना आम बात हो गई। कई सेक्टर में तो हजारों कर्मचारियों को बाहर का रास्ता तक दिखा दिया गया। इससे बेरोजगारी बढ़ी और पहले से ही महंगाई की मार से त्रस्त हजारों लोगों के सामने रोजी-रोटी की समस्या आ खड़ी हुई।

महंगाई दर 13 फीसदी तक
महंगाई की मार साल भर लोगों को तबाह करती रही। इससे उद्योग जगत और सरकार भी कम परेशान नहीं दिखे। महंगाई दर को नीचे लाने के लिए सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से कई पहल किए गए। इसी क्रम में रिजर्व बैंक ने मौद्रिक नीति को सख्त किया। साथ ही सीआरआर, रेपो और रिवर्स रेपो दरों में बदलाव किए। इससे बाजार में मौजूद तरलता को सोखने में मदद मिली।
सरकार और रिजर्व बैंक की कोशिशों से मुद्रास्फीति की दर साल के अंत तक 13 प्रतिशत से गिर कर 7 प्रतिशत से भी नीचे आ गई। हालांकि खुदरा बाजार पर इसका असर कम ही दिखा। मंदी से निपटने के लिए साल के अंतिम महीने में रिजर्व बैंक ने मौद्रिक नीति को धीरे-धीरे लचीला करना शुरू किया, ताकि बाजार में तरलता बढ़ाया जा सके।

लुढ़क गया सेंसेक्स
शेयर बाजार के लिए बीते साल का शुरुआती दौर बेहद अच्छा था। जनवरी 2008 में सेंसेक्स 21,200 अंक के स्तर को भी पार कर चुका था। इससे प्रोत्साहित होकर आम निवेशक भी शेयर बाजार की ओर रुख करते दिखे। यही कारण है कि डीमैट खाता खुलवाने के लिए लोगों की लाइन लगातार लंबी होती गई। हालांकि जानकारों ने लोगों को हिदायत दी कि वे सोच-समझकर ही शेयर बाजार में निवेश करें।
धीरे-धीरे बाजार का उफान थमता गया और जल्द ही अमीर बनने की ख्वाब में आम निवेशक परेशान होते गए। मुनाफा वसूली के भंवर में अधिकांश निवेशकों को अपनी पूंजी भी गवांनी पड़ी। साल के अंत तक सेंसेक्स 10,000 अंक से भी नीचे लुढ़क गया। बाजार में गिरावट की रफ्तार चढ़ने की गति से कहीं अधिक तेज रही।

सबसे बड़ा आईपीओ
शेयर बाजार के निवेशकों में उस समय उत्साह की लहर दौड़ गई जब रिलायंस पावर लिमिटेड यानी आरपीएल ने आईपीओ लाने की घोषणा की। कंपनी ने बाजार से लगभग 12,000 करोड़ रुपए की राशि जुटाने के लिए 26 करोड़ इक्विटी शेयर जारी किए। प्रत्येक शेयर के लिए 405 और 450 रुपए आरंभिक मूल्य तय किए गए। इसके बावजूद आईपीओ को निवेशकों का अच्छा समर्थन मिला। 15 जनवरी 2008 को आईपीओ खुलने के चंद घंटों बाद ही निवेशकों ने इसे हाथों-हाथ ले लिया।
आरपीएल के आईपीओ को 52 गुना समर्थन मिला और कंपनी के पास 1,45,080 करोड़ रुपए जमा हो गए। विशाल जमा राशि के कारण ही यह देश का सबसे बड़ा आईपीओ बन गया। हालांकि शेयर बाजार में सूचीबद्ध होने के बाद इसके प्रति निवेशकों का उत्साह ठंडा पड़ गया और इसका शेयर मूल्य आरंभिक मूल्य से काफी नीचे चला गया।

बिक गई रैनबैक्सी
बीते साल जून में प्रमुख जापानी दवा कंपनी दायची सांक्यो ने भारत की सबसे बड़ी फार्मा कंपनी रैनबैक्सी लेबोरेटरीज का अधिग्रहण कर लिया। समझौते के तहत रैनबैक्सी के 34.82 प्रतिशत शेयर दायची को अधिग्रहीत किया गया। शेष शेयरों के लिए 737 रुपए प्रति शेयर मूल्य पर ओपेन ऑफर लाया गया। इसके लिए रैनबैक्सी को 22,000 करोड़ रुपए से अधिक की राशि दी गई।
उद्योग जगत में इसकी तीखी प्रतिक्रिया हुई। आम भारतीय भी इस समझौते से आहत हुए। इसी बीच दायची सांक्यो के सह अध्यक्ष और सीईओ तकाशी शोडा ने एक बयान में कहा कि दोनों कंपनियां मिलकर काम करेंगी और रैनबैक्सी की स्वायत्ता पर किसी तरह की आंच नहीं आएगी। मलविंदर मोहन सिंह सीईओ के रूप में रैनबैक्सी का नेतृत्व करते रहेंगे। उधर, मलविंदर सिंह ने इस समझौते को एक ऐसा ‘पाथ ब्रेकिंग डीलज् कहा जो भारतीय दवा उद्योग में मील का पत्थर साबित होगा।

सिंगूर का सींग ‘नैनोज् में चुभा
जनवरी 2008 में ही टाटा ने लखटकिया कार नैनो को बाजार में उतारने की घोषणा की। कंपनी का दावा है कि एक लाख रुपए कीमत वाली नैनो दुनिया की सबसे सस्ती कार होगी। इसके उत्पादन के लिए पश्चिम बंगाल के सिंगूर में 1,500 करोड़ रुपए के निवेश से संयंत्र लगाया गया। लेकिन इस परियोजना के लिए किसानों से अधिग्रहीत भूमि को लेकर राज्य सरकार और विपक्ष में राजनीतिक खींचातानी तेज होने लगी। इस विवाद के कारण सिंगूर में काम रोकना पड़ा। अंतत: टटा ने ननो संयंत्र को पश्चिम बंगाल से बाहर ले जाने का फैसला किया।
टाटा के इस फैसले से राज्य सरकार ही नहीं, बल्कि सिंगूर के आम नागरिक भी आहत हुए। कई राज्यों ने टाटा के सामने अपने यहां नैनो संयंत्र लगाने की पेशकश की। आखिरकार अक्टूबर में टाटा समूह के चेयरमैन रतन टाटा ने इस परियोजना को गुजरात के सनद में स्थानांतरित करने का फैसला किया। विवादों में घिरने के कारण नैनो अपने निर्धारित समय पर बाजार में न आ सकी। अब उम्मीद की जा रही है कि नए साल में इसकी बुकिंग जल्दी ही शुरू होगी।

मुकेश बने सबसे अमीर
वैश्विक मंदी को लेकर तमाम आशंकाओं के बीच रिलायंस इंडस्ट्रीज उस समय सुर्खियों में आ गई जब फोर्ब्स ने सबसे अमीर भारतीयों की सूची जारी की। 40 अरबपति भारतीयों की इस सूची में रिलायंस इंडस्ट्रीज के मुखिया मुकेश अंबानी को लगभग 20.8 अरब डॉलर पूंजी के साथ सबसे ऊपर रखा गया। इससे पहले अप्रवासी भारतीय स्टील किंग लक्ष्मी निवास मित्तल को दुनिया में सबसे अमीर भारतीय के रूप में जाना जाता था। लेकिन उन्हें इस सूची में 20.5 अरब डॉलर की पूंजी के साथ एक पायदान नीचे यानी दूसरे स्थान पर रखा गया।
फोर्ब्स एशिया ने एक बयान में कहा कि भारतीय अरबपतियों के लिए यह विपरीत समय है क्योंकि शेयर बाजार में गिरावट और कमजोर रुपए के कारण अरबपतियों की कुल पूंजी में 60 प्रतिशत तक की गिरावट आई है। इसके बावजूद मुकेश अंबानी के लिए साल 2008 अच्छा रहा और सबसे अमीर भारतीय के रूप में वे दुनियाभर में चर्चित हुए।

सोना हुआ 14 हजारी
बीते साल सर्राफा बाजार में अच्छी बढ़ देखने को मिली। शेयर बाजार के धाराशायाी होने और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वित्तीय अनिश्चितता होने के बीच निवेशकों को सर्राफा में निवेश सबसे सुरक्षित दिखा। यही कारण है कि साल के दौरान सोने-चांदी के भाव नए रिकॉर्ड बना गए। जनवरी में सोने का भाव 12,000 रुपए प्रति दस ग्राम के आसपास था। अक्टूबर आते-आते यह 14,000 रुपए प्रति दस ग्राम के रिकॉर्ड स्तर को भी छू लिया। हालांकि बाद में इसके भाव गिरे, लेकिन तेजी अब भी बरकरार है।

गायब रहे प्रॉपर्टी खरीदार
प्रॉपर्टी कारोबारियों के लिए साल 2008 अच्छा नहीं रहा। पिछले कुछ वर्षो से लगातार तेज रफ्तार में चलने वाली रियल स्टेट की गाड़ी बीते साल अचानक रुक सी गई। शेयर बाजार में गिरावट, ऊंची ब्याज दर और महंगाई के कारण प्रॉपर्टी बाजार से खरीदार गायब रहे। इससे मांग में काफी कमी आई और यह 30 प्रतिशत मात्र रह गई। मांग में कमी और महंगे होते कच्चे माल के कारण रियल्टी कंपनियों को कई बड़ी परियोजनाएं टालनी पड़ीं।
साल के अंत तक रियल एस्टेट क्षेत्र में एफडीआई आना भी लगभग बंद हो चुका था। इसी दौरान भारतीय रिजर्व बैंक ने रियल्टी सेक्टर को मंदी से उबारने के लिए ब्याज दरों में कमी की। इससे अन्य बैंकों को होम लोन आदि पर ब्याज दरें घटानी पड़ी। उधर, रियल्टी कारोबारियों ने भी अब मध्यम वर्ग को ध्यान में रखकर कम कीमतों वाले फ्लैट्स बनाने की परियोजनाएं शुरू की हैं। इसलिए नए साल में एक बार फिर प्रॉपर्टी की रौनक लौटने की उम्मीद की जा रही है।

साल 2008 की प्रमुख आर्थिक घटनाएं

10 जनवरी - नई दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित 9वें ऑटो एक्सपो में दुनिया की सबसे सस्ती कार लखटकिया ‘नैनो का मॉडल रतन टाटा ने पेश किया।
15 जनवरी - लगभग 12,000 करोड़ रुपए जुटाने के लिए रिलायंस पावर लिमिटेड का आईपीओ खुला। इसने बाजार से 1,45,080 करोड़ रुपए जमा कर भारत का सबसे बड़ा आईपीओ का खिताब अपने नाम कर लिया।
8 फरवरी - प्रमुख रियल एस्टेट कंपनी एमार एमजीएफ ने निवेशकों के अभाव को भांप कर अपना आईपीओ वापल लेने का फैसला किया।
26 मार्च - टाटा मोटर्स ने ब्रिटिश कंपनी फोर्ड की आलीशान कार ब्रांड जगुआर और लैंड रोवर को 2.3 अरब डॉलर में खरीद लिया।
6 मई - निजी क्षेत्र की दूरसंचार कंपनी भारती एयरटेल ने प्रमुख अफ्रीकी दूरसंचार कंपनी एमटीएन के अधिग्रहण की बात शुरू की। लेकिन 24 मई को वह समझौते से बाहर आ गई।
28 मई - अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस कम्यूनिकेशंस ने एमटीएन से बातचीत शुरू की। जुलाई आते-आते वार्ता विफल हो गई।
11 जून - जापानी दवा कंपनी दायची सांक्यो ने एक समझौते के तहत 22,000 करोड़ रुपए देकर रैनबैक्सी पर नियंत्रण हासिल किया।
18 जून - होंडा सिएल ने भारत में पहला हाब्रिड कार ‘सिविकज् को बाजार में उतारा। इसकी कमीत 21.5 लाख रुपए रखी गई।
8 अगस्त - दक्षिण कोरिया की कंपनी पॉस्को को उड़ीसा में 51,000 करोड़ रुपए के निवेश से स्टील संयंत्र लगाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय से अनुमति मिली। कंपनी को पर्यावरण सुरक्षा के मानकों से संबंधित दस्तावेज न्यायालय में पेश करने पड़े।
21 अगस्त - एप्पल ने ‘आईफोनज् को भारतीय बाजार में उतारा।
7 अक्टूबर - टाटा मोटर ने नैनो संयंत्र को पश्चिम बंगाल के सिंगूर से स्थानांतरित कर गुजरात के सनद में स्थापित करने की घोषणा की।
8 अक्टूबर - टीसीएस ने 50.5 करोड़ डॉलर की राशि दे कर अमेरिकी बैंक सिटी ग्रुप ग्लोबल सर्विस लि. का अधिग्रहण किया।
13 अक्टूबर - जेट एयरवेज और किंगफिशर एयरलाइंस ने लागत में कटौती करने के लिए परिचालन गठजोर समझौता किया।
15 अक्टूबर - जेट एयरवेज ने 1,900 कर्मचारियों को निकाल दिया। तीव्र विरोध और राजनीतिक दबाव के कारण दो दिन बाद उन्हें वापस ले लिया गया।
4 नवंबर - कोलकाता स्थित एफएमसीजी फर्म इमामी ने झंडु फार्मास्युटिक्ल्स के अधिग्रहण को पूरा किया।
12 नवंबर - जापान की सबसे बड़ी दूरसंचार कंपनी एनटीटी डोकोमो ने 2.7 अरब डॉलर देकर टाटा टेलीसर्विसेज में 26 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदी।
11 दिसंबर - एमटीएनएल ने तीसरी पढ़ी की (3जी) सेवाएं लॉन्च कीं।
16 दिसंबर - सत्यम कम्प्यूटर ने 1.6 अरब डॉलर में मेटास प्रॉपर्टीज और मेटास इंफ्रा के अधिग्रहण की घोषणा की। लेकिन शेयरधारकों की नाराजगी के कारण अगले ही दिन सत्यम ने इस समझौते से अपना हाथ वापस खींच लिया। कंपनी के चार स्वतंत्र निदेशकों ने अपना इस्तीफा सौंपा।
23 दिसंबर - प्रमुख आईटी कंपनी विप्रो ने सिटी समूह के सिटी टेक्नोलॉजी सर्विस लि. को लगभग 12.7 करोड़ डॉलर में खरीदने की घोषणा की।
25 दिसंबर - विश्व बैंक ने सत्यम को 8 साल के लिए व्यापार करने से प्रतिबंधित किया। इसी दिन रिलायंस पेट्रोलियम ने जामनगर रिफाइनरी से प्रति दिन 5 लाख 80 हजार बैरल पेट्रोलियम का उत्पादन शुरू किया।

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